गुरुवार, 23 मार्च 2017

अपने


बिन छायाँ के विश्राम नही होते ।
 बिन आशीषों के काम नही होते ।
 न हो हाथ पीठ पर अपनों का ,
 तो विजयी समर संग्राम नही होते ।
    ,...... विवेक ......

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...