पाकर जिसने मुझको ,
खुद को खोया था ।
जीवन की खातिर ,
जीवन को खोया था ।
सजल नयन थे कितने ,
दृग कण भी रोया था ।
मुस्कान भरे अधरों पर ,
शब्द शब्द में खोया था ।
जीवन की खातिर ,...
छोड़ चले पग चिन्ह ही अपने ,
चिन्हों ने कदमों को खोया था ।
लिपटी दृष्टि बार बार यादों में ,
वादों ने यादों को खोया था ।
जीवन की खातिर ,...
छूटा वो आँचल आँगन भी ,
जिस आँचल ने उसे संजोया था ।
बातों को अब आँगन की ,
उसने यादों में बोया था ।
पाकर जिसने मुझको ,
खुद को भी खोया था ।
जीवन की खातिर ...
.... विवेक दुबे "निश्चल"@...
खुद को खोया था ।
जीवन की खातिर ,
जीवन को खोया था ।
सजल नयन थे कितने ,
दृग कण भी रोया था ।
मुस्कान भरे अधरों पर ,
शब्द शब्द में खोया था ।
जीवन की खातिर ,...
छोड़ चले पग चिन्ह ही अपने ,
चिन्हों ने कदमों को खोया था ।
लिपटी दृष्टि बार बार यादों में ,
वादों ने यादों को खोया था ।
जीवन की खातिर ,...
छूटा वो आँचल आँगन भी ,
जिस आँचल ने उसे संजोया था ।
बातों को अब आँगन की ,
उसने यादों में बोया था ।
पाकर जिसने मुझको ,
खुद को भी खोया था ।
जीवन की खातिर ...
.... विवेक दुबे "निश्चल"@...
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