वेगवती छंद(अर्ध सम वर्णिक)
विधान~ 4 चरण, 2-2 चरण समतुकांत।
विषम पाद- सगण सगण सगण गुरु(10वर्ण )
112 112 112 2
सम पाद-भगण भगण भगण गुरु गुरु(11वर्ण )
211 211 211 2 2
खिलते मन जो खुलते हैं ।
ज़ीवन से तब ही मिलते हैं ।
तन ज़ीवन से पलते हैं ।
जीव जहाँ मिलते ढलते हैं ।
चलता चल प्रीतम प्यारे ।
खोल सभी मन ज़ीवन द्वारे ।
खुलता चल साँझ सकारे ।
सोम सभी तन जी भर बांटें ।
उठते गिरते चल जाते ।
खाकर चोट खुलें सब नाते ।
पथ तो तब ही मिल पाते ।
जीव तरु मिलते फल प्यारे ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 5(110)
विधान~ 4 चरण, 2-2 चरण समतुकांत।
विषम पाद- सगण सगण सगण गुरु(10वर्ण )
112 112 112 2
सम पाद-भगण भगण भगण गुरु गुरु(11वर्ण )
211 211 211 2 2
खिलते मन जो खुलते हैं ।
ज़ीवन से तब ही मिलते हैं ।
तन ज़ीवन से पलते हैं ।
जीव जहाँ मिलते ढलते हैं ।
चलता चल प्रीतम प्यारे ।
खोल सभी मन ज़ीवन द्वारे ।
खुलता चल साँझ सकारे ।
सोम सभी तन जी भर बांटें ।
उठते गिरते चल जाते ।
खाकर चोट खुलें सब नाते ।
पथ तो तब ही मिल पाते ।
जीव तरु मिलते फल प्यारे ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 5(110)
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