गुरुवार, 23 अगस्त 2018

वेगवती छंद

वेगवती छंद(अर्ध सम वर्णिक)
विधान~ 4 चरण, 2-2 चरण समतुकांत।
विषम पाद-  सगण सगण सगण गुरु(10वर्ण )
                  112   112  112  2
सम पाद-भगण भगण भगण गुरु गुरु(11वर्ण )
              211  211  211   2  2

 गढ़ता पढ़ता लिखता सा ।
 काल कला बनता चलता सा ।
 थमता जमता हिम सा जो ।
 तीर नदी बहता जल सा जो ।

 चुनता पथ पाहन जाता ।
 वापस लौट नही पथ पाता ।
 सुर पाकर साज बुझे से ।
 मोहित लोचन आज झुके से ।

थकती कविता मन गाता ।
रीत रहा मन सावन जाता ।
शिव से शिव ही शुभ लाता ।
याचक चाह रहा अब दाता ।

... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 5(111)

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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