सोमवार, 15 अक्तूबर 2018

माँ उपकार करो

मनोज्ञा छंद
(111  212  2 )

 भजत नित्य माता ।
 सकल ज्ञान पाता ।
 चरन पाद सेवा ।
 मिलत ज्ञान मेवा ।

 सहज भाव आया ।
 सकल प्राण लाया ।
 नित तुझे मनाऊँ ।
 कब "विवेक" पाऊँ ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@...


आओ माँ उपकार करो ।
  दुष्टों का तुम संहार करो ।
 पाप अनाचार रजः छाई है ,
  हर पापी पर प्रहार करो ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@..

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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