मनोज्ञा छंद
(111 212 2 )
भजत नित्य माता ।
सकल ज्ञान पाता ।
चरन पाद सेवा ।
मिलत ज्ञान मेवा ।
सहज भाव आया ।
सकल प्राण लाया ।
नित तुझे मनाऊँ ।
कब "विवेक" पाऊँ ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
आओ माँ उपकार करो ।
दुष्टों का तुम संहार करो ।
पाप अनाचार रजः छाई है ,
हर पापी पर प्रहार करो ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
(111 212 2 )
भजत नित्य माता ।
सकल ज्ञान पाता ।
चरन पाद सेवा ।
मिलत ज्ञान मेवा ।
सहज भाव आया ।
सकल प्राण लाया ।
नित तुझे मनाऊँ ।
कब "विवेक" पाऊँ ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
आओ माँ उपकार करो ।
दुष्टों का तुम संहार करो ।
पाप अनाचार रजः छाई है ,
हर पापी पर प्रहार करो ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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