597
उलझे सवालों का सुलझा जवाब मांगता है ।
ये वक़्त अक़्सर मुझसे हिसाब मांगता है ।
बहकर आया जो दरिया जिंदगी का दूर से ,
मिल उम्र के समंदर से वो रुआब मांगता है ।
.... 598
चुपके से चल किनारों पे, किनारों तक ।
पतझड़ के आने से , आती बहारों तक ।
तू ठहरना नही कही कभी इन राहो पर ,
मंजिल खुद ही आएगी, तेरे इरादों तक ।
... 599
कहाँ तक करे प्रयास कोई ।
है अंत नही आकाश कोई ।
जब उड़ता है पंक्षी मन का ,
तब दिशा नही आभास कोई ।
....600
पृष्ठ पृष्ठ पलटानी है ।
जीवन एक कहानी है ।
बहता सा नीर नदी का ,
जीवन एक रवानी है ।
.... 601
कुछ होंसलों की उड़ाने ।
परिंदे कुछ नये पुराने ।
मिलते नही साँझ तक ,
कुछ अधूरे से ठिकाने ।
.... 602
जो भी क़ाबिल तेरे होगा ।
एक वो ही तो तेरा होगा ।
ठहरेगा हर हाल साथ तेरे ,
उफ़्क तक साथ गहरा होगा ।
....603
वो पहले से ही गढ़ लाया अपने किस्से ।
कोई फिर क्या पुछे उससे अपने किस्से ।
गुणा भाग कर जुबानी जमा खर्च का
बाँट गया वो सबको थोडे थोडे हिस्से ।
...604
सीखता रहा हालात से बस यूं ही ।
जीतता रहा मैं आज से बस यूं ही ।
ढूंढता चला हूँ इल्म शोहरतो का ,
हसरतों भरे मिजाज से बस यूं ही ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
605
काबिल वो नही,
जो क़ाबिल-ऐ-तारीफ है ।
क़ाबिल तो वो है,
जो तारीफ-ऐ-आम करते है ।
.....विवेक दुबे©....
डायरी 6
उलझे सवालों का सुलझा जवाब मांगता है ।
ये वक़्त अक़्सर मुझसे हिसाब मांगता है ।
बहकर आया जो दरिया जिंदगी का दूर से ,
मिल उम्र के समंदर से वो रुआब मांगता है ।
.... 598
चुपके से चल किनारों पे, किनारों तक ।
पतझड़ के आने से , आती बहारों तक ।
तू ठहरना नही कही कभी इन राहो पर ,
मंजिल खुद ही आएगी, तेरे इरादों तक ।
... 599
कहाँ तक करे प्रयास कोई ।
है अंत नही आकाश कोई ।
जब उड़ता है पंक्षी मन का ,
तब दिशा नही आभास कोई ।
....600
पृष्ठ पृष्ठ पलटानी है ।
जीवन एक कहानी है ।
बहता सा नीर नदी का ,
जीवन एक रवानी है ।
.... 601
कुछ होंसलों की उड़ाने ।
परिंदे कुछ नये पुराने ।
मिलते नही साँझ तक ,
कुछ अधूरे से ठिकाने ।
.... 602
जो भी क़ाबिल तेरे होगा ।
एक वो ही तो तेरा होगा ।
ठहरेगा हर हाल साथ तेरे ,
उफ़्क तक साथ गहरा होगा ।
....603
वो पहले से ही गढ़ लाया अपने किस्से ।
कोई फिर क्या पुछे उससे अपने किस्से ।
गुणा भाग कर जुबानी जमा खर्च का
बाँट गया वो सबको थोडे थोडे हिस्से ।
...604
सीखता रहा हालात से बस यूं ही ।
जीतता रहा मैं आज से बस यूं ही ।
ढूंढता चला हूँ इल्म शोहरतो का ,
हसरतों भरे मिजाज से बस यूं ही ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
605
काबिल वो नही,
जो क़ाबिल-ऐ-तारीफ है ।
क़ाबिल तो वो है,
जो तारीफ-ऐ-आम करते है ।
.....विवेक दुबे©....
डायरी 6
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