*इन बेताबियों का क्या जवाब दूँ ।*
*इन बेकरारियों का क्या हिसाब दूँ ।*
*पाल बैठा हूँ दुश्मनी ख्यालों से भी ,*
*ऐ जिंदगी तुझे हँसी क्या खुआव दूँ ।*
*आ ही गये बेपर्दा महफ़िल में वो ,*
*अब उन्हें क्या हुस्न-ऐ-नक़ाब दूँ ।*
*साजिशें है आज बड़ी मुकम्मिल ,*
*अब शराफ़तों को क्या ठहराब दूँ ।*
*कह गया जो बातें बड़े सलीके से ,*
*उन बातों का क्या लब्बोलुआब दूँ।*
*जो पढ़ गया"निश्चल"को एक निग़ाह में ,*
*उसे मैं अपनी ग़ज़ल क्या किताब दूँ ।*
..... *विवेक दुबे"निश्चल"@*....
Blog post 16/6/20
*इन बेकरारियों का क्या हिसाब दूँ ।*
*पाल बैठा हूँ दुश्मनी ख्यालों से भी ,*
*ऐ जिंदगी तुझे हँसी क्या खुआव दूँ ।*
*आ ही गये बेपर्दा महफ़िल में वो ,*
*अब उन्हें क्या हुस्न-ऐ-नक़ाब दूँ ।*
*साजिशें है आज बड़ी मुकम्मिल ,*
*अब शराफ़तों को क्या ठहराब दूँ ।*
*कह गया जो बातें बड़े सलीके से ,*
*उन बातों का क्या लब्बोलुआब दूँ।*
*जो पढ़ गया"निश्चल"को एक निग़ाह में ,*
*उसे मैं अपनी ग़ज़ल क्या किताब दूँ ।*
..... *विवेक दुबे"निश्चल"@*....
Blog post 16/6/20
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