*इन बेताबियों का जवाब क्या दूँ ।*
*इन बेकरारियों का हिसाब क्या दूँ ।*
*पाल बैठा हूँ दुश्मनी ख्यालों से भी ,*
*ऐ जिंदगी तुझे हँसी खुआव क्या दूँ ।*
*आ ही गये बेपर्दा महफ़िल में वो ,*
*अब उन्हें हुस्न-ऐ-नक़ाब क्या दूँ ।*
*साजिशें है आज बड़ी मुकम्मिल ,*
*अब शराफ़तों को ठहराब क्या दूँ ।*
*कह गया जो बातें बड़े सलीके से ,*
*उन बातों का लब्बोलुआब क्या दूँ।*
*जो पढ़ गया"निश्चल"को एक निग़ाह में ,*
*उसे मैं अपनी ग़ज़ल किताब क्या दूँ ।*
..... *विवेक दुबे"निश्चल"@*....
*इन बेकरारियों का हिसाब क्या दूँ ।*
*पाल बैठा हूँ दुश्मनी ख्यालों से भी ,*
*ऐ जिंदगी तुझे हँसी खुआव क्या दूँ ।*
*आ ही गये बेपर्दा महफ़िल में वो ,*
*अब उन्हें हुस्न-ऐ-नक़ाब क्या दूँ ।*
*साजिशें है आज बड़ी मुकम्मिल ,*
*अब शराफ़तों को ठहराब क्या दूँ ।*
*कह गया जो बातें बड़े सलीके से ,*
*उन बातों का लब्बोलुआब क्या दूँ।*
*जो पढ़ गया"निश्चल"को एक निग़ाह में ,*
*उसे मैं अपनी ग़ज़ल किताब क्या दूँ ।*
..... *विवेक दुबे"निश्चल"@*....
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