मंगलवार, 16 जून 2020

जवाब क्या दूँ

*इन बेताबियों का जवाब क्या दूँ  ।*
 *इन बेकरारियों का हिसाब क्या दूँ ।*

 *पाल बैठा हूँ दुश्मनी ख्यालों से भी ,*
 *ऐ जिंदगी तुझे हँसी खुआव क्या दूँ ।*

 *आ ही गये बेपर्दा महफ़िल में वो ,*
 *अब उन्हें हुस्न-ऐ-नक़ाब क्या दूँ ।*

 *साजिशें है आज बड़ी मुकम्मिल ,*
 *अब शराफ़तों को ठहराब क्या दूँ ।*

 *कह गया जो बातें बड़े सलीके से ,*
 *उन बातों का लब्बोलुआब क्या दूँ।*

 *जो पढ़ गया"निश्चल"को एक निग़ाह में ,*
 *उसे मैं अपनी ग़ज़ल किताब क्या दूँ ।*

 ..... *विवेक दुबे"निश्चल"@*....

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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