जिसने भी जो बोया बस वो ही काटा है ।
भाग्य कहाँ कब किसने किससे बाँटा है ।
..."निश्चल"@...
भाग्य भाग्य से ही हारा है ।
मिलता नही कहीं सहारा है ।
घुटतीं है अब अभिलाषाएं ,
आशाओं का नही किनारा है ।
..."निश्चल"@...
भाग्य से आगे चल सकते नही ।
किस्मत को बदल सकते नही ।
लिख दिया रेखाओं में जो उसने ,
उससे कभी निकल सकते नही ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@....
आस की प्यास भी जरूरी है ।
इतना अहसास भी जरूरी है ।
आकांक्षाओं का घट भरने को ,
भाग्य का पास भी जरूरी है ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@..
एक यही भाग्य का टोटा है ।
शब्दों ने शब्दों को रोका है ।
लिखता मन हर धड़कन को ।
अश्कों को पलकों ने सोखा है ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@....
सब है पर क्यों कुछ नही ।
भाग्य पर क्यों बस नही ।
चलता रोशनी की छाँव में
पर साँझ ढले मुकाम नही ।
...."निश्चल"@..
चलते रहो शायद यही भाग्य होता है ।
मन में बस एक विश्वास होता है ।
करती फैसले कुदरत अपने तरीके से ,
और कुछ नहीं हमारे हाथ होता है ।
......"निश्चल"@..
चलते रहो शायद यही भाग्य हो ।
मन में एक यही विश्वास हो।
फैसला करे कुदरत अपने तरीके से ,
तब सब कुछ हमारे हाथ हो।
..."निश्चल"@..
बस कर्म ही हमारा साथ है ।
भाग्य तो विधाता के हाथ है ।
खोया सुख चैन और कि चाह में ,
जो प्राप्त है वो भी अपर्याप्त है ।
..."निश्चल"@..
आज मन विकल ,
व्याकुल हर पल ।
नही रहेगा कल ,
हो जायेगा सहज सरल ।
खो जायेंगे सब,
अपने कामों में ।
वक़्त कहा किस पर ,
उलझे भूली बिसरी बातों में ।
सोचेंगे न सकुचायेंगे ।
नाम भाग्य का देकर ।
जीवन की हर ,
पहेली सुलझाएंगे ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@....
सच क्या ?
जो सामने आये ।
झूठ क्या ?
जो पकड़ा जाये ।
डर क्या ?
जो भाग जाये ।
निडर क्या ?
जो टकरा जाये ।
भाग्य क्या ?
जो बदल न पाये ।
दुर्भाग्य क्या ?
जो बदल जाये ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@......
Blog post 28/12/23
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