----- नारी शक्ति को समर्पित दो शब्द _____
---
दूर दूर है तू हे आकाश
धरा है तू हे तू हर दम
पास पास साथ साथ
गिरा बुलंदियों से जब भी कोई
आया बस और बस तेरे ही पास
सहज लिया अपने आँचल में
देकर अपना विश्वास
पाकर आश्रय तेरी कोख का
छू गया नन्हा बीज भी आकाश
....... विवेक .......
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें