----- होली की शुभ कामनाएं चुनावी परिदृष्य मे ------
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खूब चढ़े थे रंग फ़ागुन के
चुनावो के इस मौसम मे ।
था हर कोई वादों की भंग घोल रहा ।
था हर कोई भर भर पेल रहा ।
कोई रंग डाले रंग विरंगे नारों के ।
कोई खेले तंज भरे गुब्बारों से ।
थी सबकी मस्ती अपनी अपनी ।
अब कोई चूर हुआ विजय उन्मादों मे ।
कोई लस्त पड़ा थके हुए हुरियारों मे ।
कोई दो रंग एक संग घोल रहा ।
वोटर तेरा अब नही कोई मोल रहा ।
....... विवेक .....
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