सोमवार, 13 मार्च 2017

बचपन


आओ कुछ शरारत हो जाए ।
 पचपन फिर बचपन हो जाए ।।
वो कच्ची अमिया ,बो मिटटी की गुड़िया ।
 एक पल रूठे अगले पल हंस जाएँ ।।
  सारी यादे ताज़ा हो जाए।
 पचपन फिर बचपन हो जाए ।।
    ...... विवेक ......
9/3/17

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