यह रंग सुनहरे फ़ागुन के
धुँधले धुँधले बिन साजन के
टेसू फूले मन भावन से
झड़ते सूने आँगन में
यह रंग सुनहरे ...
प्रीत के रंग भरे पिचकारी मे
चुप चाप खड़ी लाचारी मे
सूने नैना राह तकें राहों मे
रंग नही अब इन फागों में
यह रंग सुनहरे ,......
तपता मन चाँदनी रातों में
चँदा चलता ज्यों अंगारों पे
शीतल बसन्त बयारों में
साँसे तपतीं साँसों से
यह रंग सुनहरे .....
..... विवेक ,.....
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