शनिवार, 15 जुलाई 2017

जोश ज़िन्दगी का


याद रखो बचपन को ।
  तुम न देखो दर्पण को ।
  यह झुर्रियाँ उम्र की नही ।
  दे गया है वक़्त जाते जाते ।

  इस सच को मान न मानो आपनी हार ।
 यह जोश जिंदगी का ही दौलत आपनी ।
   .... विवेक दुबे  विवेक©...

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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