यूँ दिल न चुराओ चुपके से ।
दिल न धड़काओ चुपके से ।
रहता है हर मोड़ पर इंतज़ार
यूँ गुज़र न जाओ चुपके से ।
मुझे छूकर गुजरती है हवा ,
साँसों को न महकाओ चुपके से ।
ख्यालों गुनगुनाता हूँ जिन्हें अक्सर ,
उन्हें गज़ल न बनाओ चुपके से ।
देता रहा जो सजा अपने आपको ,
उसे न सजाओ दिल में चुपके से ।
......विवेक दुबे "विवेक"©.....
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