उठते सवाल हर दम हम रहे।
ख़ामोश जवाब हर दम हम रहे ।
नाक़ाबिल तो हम न थे मग़र ,
चुभते निग़ाह हर दम हम रहे ।
दे कर इम्तेहां दुनियाँ को कड़े ,
आजमाइश हर दम हम रहे ।
चिंगारियाँ हसरतें कुछ दिल से ,
रोशन चराग हर दम हम रहे ।
बुने कुछ ख़्वाब जिसके वास्ते ,
अहसास उसके हर दम हम रहे ।
खोकर तन्हाईयाँ उसके वास्ते ,
महफ़िल सा हर दम हम रहे ।
जी ते रहे वा बस्ता जिनसे ,
करार उनके हर दम हम रहे ।
...... विवेक दुबे"निश्चल"©....
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