शनिवार, 15 जुलाई 2017

उठते सवाल हर दम हम रहे

 उठते सवाल हर दम हम रहे।
 ख़ामोश जवाब हर दम हम रहे ।

 नाक़ाबिल तो हम न थे मग़र ,
 चुभते निग़ाह हर दम हम रहे ।

  दे कर इम्तेहां दुनियाँ को कड़े ,
  आजमाइश हर दम हम रहे ।

  चिंगारियाँ हसरतें कुछ दिल से ,
   रोशन चराग हर दम हम रहे ।

  बुने कुछ ख़्वाब जिसके वास्ते ,
 अहसास उसके हर दम हम रहे ।

  खोकर तन्हाईयाँ उसके वास्ते ,
   महफ़िल सा हर दम हम रहे ।

   जी ते रहे वा बस्ता जिनसे  ,
   करार उनके हर दम हम रहे ।
   ...... विवेक दुबे"निश्चल"©....

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...