गुरुवार, 19 अक्तूबर 2017

शुभ दीवाली


.. *मंगलम सु-मंगलम* ..

 *अंधकार निवारणं दीप प्रकाशकम ।*
 *वंदे श्रीहरि श्रीनिधि फल प्रदायनम ।।*

अबकी दीवाली कुछ ऐसे दीप सजाऊँ ।
 यादों की बाती से यादो के दीप जलाऊँ । 
 हों जो उजियारे दीप सँग मध्यम मध्यम ,
 हो जाए प्रकशित मन तिमिर दूर भगाऊँ ।




   तेल भरूँ नव सम्भावनाओं का मैं ।
   मन उज्वल नवल प्रकाश जगाऊँ ।
  खोजूं फिर गहन अनन्त आकाश मैं ।
 अबकी दीवाली कुछ ऐसे दीप जलाऊँ ।
             .... *विवेक दुबे* ......




कुछ शुभ कामनाएँ मेरी हों ।
कुछ शुभ कामनाएँ तेरी हों ।
 जगमग हों राहें जीवन पथ की,
 फिर रात भले ही अँधेरी हो।
   ..... विवेक दुबे ....



दूर कर प्रकाश से अंधकार को ।
 जीत साहस से अत्याचार को । 
 न हार कभी अपने विश्वास को ।
 जीत ले फिर समूचे आकाश को ।
  ..... विवेक दुबे ...


भाव खो गए भाबों में।
 वादे भूले सब यादों में ।
 हर रिश्ता तो     अब ,
 बिकता है बाज़ारों में। 

  चकाचोंध की इस दुनियाँ में ।
 होता है सब कुछ अँधियारों में ।
  सूरज भी अब तो अक़्सर, 
  सोता है तमस के गलियारों में ।
 .... विवेक दुबे ...

कुछ ऐसे नए दीप जलाएँ।
आशाओ के उजियारे आएँ ।
दीप भले ही कल बुझ जाएँ।
आशायें जगमग होती जाएँ ।
 रंगोली कुछ यूँ सज जाएँ।
सदभाव के रंग भर जाएँ ।

....  सु-मङ्गलम् दीपावली ....

.....विवेक दुबे©.....


हल्दी चंदन उबटन लगाएँ ।
सुगन्ध श्रृंगार कर सज जाएँ ।
 तन महके मन भी महके,
 श्रीनिधिः से रूप आरोग्य पाएँ । 
     कर प्रथम आवाहन श्रीहरि का,
     हरिवल्लभी के चरण पखारे जाएँ 
     कृपा करें चन्द्रसहोदरी सभी पर,
      घर घर प्रभा सिद्धि पुष्टि छाए ।
   ..... विवेक दुबे .......

डायरी

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