रविवार, 15 अक्तूबर 2017

अबकी दीवाली


अबकी दीवाली कुछ ऐसे दीप सजाऊंगा ।
 यादों की बाती रख यादो के दीप जलाऊंगा । 
 होंगे उजियारे मध्यम मध्यम तिमिर संग ,
 हो प्रकशित मन तिमिर दूर भगाऊंगा ।




 तेल भरूंगा नव सम्भावनाओं का मैं ।
मन उज्वल नवल प्रकाश जगाऊंगा ।
  खोजूंगा फिर गहन अनन्त आकाश मैं ।
 अबकी दीवाली कुछ ऐसे दीप जलाऊंगा ।
  .... विवेक दुबे ......

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