अबकी दीवाली कुछ ऐसे दीप सजाऊंगा ।
यादों की बाती रख यादो के दीप जलाऊंगा ।
होंगे उजियारे मध्यम मध्यम तिमिर संग ,
हो प्रकशित मन तिमिर दूर भगाऊंगा ।
तेल भरूंगा नव सम्भावनाओं का मैं ।
मन उज्वल नवल प्रकाश जगाऊंगा ।
खोजूंगा फिर गहन अनन्त आकाश मैं ।
अबकी दीवाली कुछ ऐसे दीप जलाऊंगा ।
.... विवेक दुबे ......
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