रविवार, 15 अक्तूबर 2017

एक पहलू यह भी


आज का विषय --- शिक्षा
 शिक्षा का एक पहलू यह भी।


चले फ़रेब के यूँ कुछ धंधे । 
शिक्षा मंदिर के ऊगे सरकंडे ।
 बंट रही डिग्रियाँ धड़ा धड़,
 अपनाते नित नए हथकंडे ।

       बनते फ़र्जी डॉक्टर इंजीनियर सभी,
       शिक्षा के नाम मिलते भर भर चंदे।
       वाह व्यवस्था टूटे नही आज भी ,
       लार्ड मैकाले शिक्षा पद्धति के फंदे।

   पाकर शिक्षा रहे निराश्रित आज भी।
   स्वतंत्र भारत माता के लाड़ले बन्दे। 
    पाकर शिक्षा सभी करें चाकरी ,
    कर सकते नही शिक्षत अपने धंधे।
    ...... विवेक दुबे ©.....

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