आज ताज़ा फिर जवानी के ख्याल करते हैं ।
गुजरे मोहब्बत भरे दिन फिर याद करते हैं ।
भूलाकर अदावतें अपनी अपनी सारी ,
आज सारा मन मैल साफ करते हैं ।
गुजर गई बहुत थोड़ी ही रही बाँकी अब ,
ख़ुशी ख़ुशी पचास इस्तेक़वाल करते हैं ।
दिखने लगीं हैं सलवटें रुख़्सरों पे अब ।
आज आईने का फिर दीदार करते हैं ।
यह सलवटें कोई निशानी नही उम्र की ,
उम्र तजुरवों का सलवट से सिंगार करते हैं ।
साफ़ हुई कालिख़ सिर से बालों की अब,
मन से भी मैल अब हम साफ़ करते हैं ।
.... विवेक दुबे"निश्चल" @...
गुजरे मोहब्बत भरे दिन फिर याद करते हैं ।
भूलाकर अदावतें अपनी अपनी सारी ,
आज सारा मन मैल साफ करते हैं ।
गुजर गई बहुत थोड़ी ही रही बाँकी अब ,
ख़ुशी ख़ुशी पचास इस्तेक़वाल करते हैं ।
दिखने लगीं हैं सलवटें रुख़्सरों पे अब ।
आज आईने का फिर दीदार करते हैं ।
यह सलवटें कोई निशानी नही उम्र की ,
उम्र तजुरवों का सलवट से सिंगार करते हैं ।
साफ़ हुई कालिख़ सिर से बालों की अब,
मन से भी मैल अब हम साफ़ करते हैं ।
.... विवेक दुबे"निश्चल" @...
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