रविवार, 3 दिसंबर 2017

लेखन सूत्र



 लेखन के सूत्र बड़े दुष्कर थे ।
  साहित्य शब्द बड़े प्रखर थे ।
   कर सतत अथक प्रयास ,
   चमके साहित्य में नक्षत्र थे ।

    कुछ लेखन के सूत्र आधार गढ़े थे ।
     ऋचाओं श्लोकों के जो मूल बने थे ।
     रचे दोहा छंद सोरठा स्त्रोत चौपाई ,
     ऋषि मुनि तपस्वी सब संपूर्ण बने थे।

  ज्यों ज्यों युग बदले भाषाएँ बदलीं ।
  त्यों त्यों विधाएँ लेखन की बदलीं ।
  बदली जब तब शैली कला लेखन की ,
  लेखन सूत्र वही मात्राएँ न बदलीं ।
      
    आज लेखन सूत्र का आधार वही है।
    गीता , रामायण का उपकार यही है ।
    तुलसी,मीरा,कोटिल्य,विदुर,पढ़ें महान,
     लेखन कला का बस आधार यही है ।

  हर प्रमेय गणित का ज्यों सही है ।
  व्यकरण मनीषियों का त्यों सही है ।
  पा जाए इसके कुछ लेखन सूत्र,
  सच्ची लेखन कला तो बस यही है ।
  
     सच्ची लेखन कला तो बस यही है ।

     ...... "निश्चल" विवेक दुबे©.....

      
    

  

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