किस किस को याद रखोगे।
किस किस को भूल पाओगे ।
कदम तले कामयाबियों के,
नाकामयाबियों को पाओगे ।
माना कि धरता है हर क़दम तू ,
अपनी पूरी हुनरदारी के साथ ।
नुक़्स निकलेगा कोई न कोई,
ज़माने को कहाँ छोड़ पाओगे ।
जीते हैं सब अपने ही तरीक़े से,
अपना तरीक़ा तुम कहाँ पाओगे ।
चला चल बस ख़ामोश रहो तुम ,
मंज़िल तो एक दिन पा ही जाओगे ।
किस किस को याद .....
किस किस को .....
.... "निश्चल" *विवेक* ...©
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें