बरगद से विशाल पिता।
हर मुश्क़िल की ढाल पिता ।।
ख़ुश है हर हाल पिता ।
कहे न दिल का हाल पिता ।।
हर मुश्क़िल का संबल पिता ।
निर्बल का आत्मबल पिता ।।
कभी धूप कभी छांव पिता ।
मुश्किल में न खीजा पिता ।।
हर मुश्किल से जीता पिता।
हर दुःख पीता पिता ।।
कंठ हलाहल थामता पिता ।
शिवः सामान नीलकंठ पिता ।।
बस खुशियाँ बाँटता पिता ।
तुम शुभांकर "नेहदूत" पिता ।।
तुम्हे शुभकामनाएं मैं क्या दूँ पिता ।
चरणों में रहे, सदा मेरा ध्यान पिता ।।
......विवेक दुबे©...
हर मुश्क़िल की ढाल पिता ।।
ख़ुश है हर हाल पिता ।
कहे न दिल का हाल पिता ।।
हर मुश्क़िल का संबल पिता ।
निर्बल का आत्मबल पिता ।।
कभी धूप कभी छांव पिता ।
मुश्किल में न खीजा पिता ।।
हर मुश्किल से जीता पिता।
हर दुःख पीता पिता ।।
कंठ हलाहल थामता पिता ।
शिवः सामान नीलकंठ पिता ।।
बस खुशियाँ बाँटता पिता ।
तुम शुभांकर "नेहदूत" पिता ।।
तुम्हे शुभकामनाएं मैं क्या दूँ पिता ।
चरणों में रहे, सदा मेरा ध्यान पिता ।।
......विवेक दुबे©...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें