रूप नगर से आया चलकर ,
जाम नगर बस जाने को ।
रिंद सरीखा बनकर वो ,
साक़ी से नैन लड़ाने को ।
मचल रही है कव्य पिपासा,
शब्द शब्द पी जाने को ।
भावों के इन प्यालों में ,
अर्थ जाम भर लाने को ।
पीकर सकीं के हाथों से ,
अपनी प्यास बुझाने को ।
तरकर कंठ फिर अपना ,
मदहोश रिंद हो जाने को ।
पीता है वो बस पीता है ,
काव्य सँग जी जाने को ।
सँग चली साक़ी उसके ,
काव्य जाम पिलाने को ।
आया वो इस मैख़ाने में ,
ख़ाक यहीं हो जाने को ।
रूप नगर से आया चलकर ,
जाम नगर बस जाने को ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
जाम नगर बस जाने को ।
रिंद सरीखा बनकर वो ,
साक़ी से नैन लड़ाने को ।
मचल रही है कव्य पिपासा,
शब्द शब्द पी जाने को ।
भावों के इन प्यालों में ,
अर्थ जाम भर लाने को ।
पीकर सकीं के हाथों से ,
अपनी प्यास बुझाने को ।
तरकर कंठ फिर अपना ,
मदहोश रिंद हो जाने को ।
पीता है वो बस पीता है ,
काव्य सँग जी जाने को ।
सँग चली साक़ी उसके ,
काव्य जाम पिलाने को ।
आया वो इस मैख़ाने में ,
ख़ाक यहीं हो जाने को ।
रूप नगर से आया चलकर ,
जाम नगर बस जाने को ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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