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चल आ महफ़िल में ,
कुछ वक़्त बिताते हैं ।
सुनते है तुझको,
कुछ गीत सुनाते है ।
गुनते है गजलें तेरी ,
नज़्म नई हम गाते है ।
चल रख चलते है ,
शब्दों को भाव तले ,
शब्दों की सरगम से,
भावों के साज सजाते है ।
महफ़िल में रहे नही,
कुछ भी पीछे मन के ,
इस साँझ धुंधलके में ,
मन परदे आज उठाते है ।
अपने भावों के प्याले ,
शब्दों से हम भरकर ,
चल साँझ तले ,
जाम हम टकराते हैं ।
चल आ महफ़िल में ,
कुछ वक़्त बिताते हैं ।
....विवेक दुबे "निश्चल"@...
डायरी 6(97)
चल आ महफ़िल में ,
कुछ वक़्त बिताते हैं ।
सुनते है तुझको,
कुछ गीत सुनाते है ।
गुनते है गजलें तेरी ,
नज़्म नई हम गाते है ।
चल रख चलते है ,
शब्दों को भाव तले ,
शब्दों की सरगम से,
भावों के साज सजाते है ।
महफ़िल में रहे नही,
कुछ भी पीछे मन के ,
इस साँझ धुंधलके में ,
मन परदे आज उठाते है ।
अपने भावों के प्याले ,
शब्दों से हम भरकर ,
चल साँझ तले ,
जाम हम टकराते हैं ।
चल आ महफ़िल में ,
कुछ वक़्त बिताते हैं ।
....विवेक दुबे "निश्चल"@...
डायरी 6(97)
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