722
वो हादसे हालात के ।
न-मुक़म्मिल ख्यालात के ।
शबनम को तरसी चाँदनी ,
ज़िस्म अधूरे रात के ।
.....
723
ज़ज्बात मचल जाने दो ।
शबनम पिघल जाने दो ।
एक ख़्वाब की ख़ातिर,
रात को सम्हल जाने दो ।
......
724
मचलते है ज़ज्बात, मचल जाने दो ।
पिघलती है शबनम, पिघल जाने दो ।
फिर एक हसीन ख़्वाब की ख़ातिर ,
ढ़लती सी रात को , सम्हल जाने दो ।
......
725
ये जिंदगी हसीन है ।
तजुर्बा ही जहीन है ।
हक़ीक़त-ऐ-आसमां पे ,
ख़्वाब की जमीन है ।
......
726
ये जिंदगी हसीन है ।
तजुर्बा ही जहीन है ।
ख़्वाब के आसमां पे ,
हक़ीक़त-ऐ-जमीन है ।
....
727
मैं दर्द बयां कैसे कर दूँ ।
दिल दर्द ज़ुदा कैसे कर दूँ ।
है ये संग मेरे अपने ही ,
मैं उन्हें बुत कैसे कर दूँ ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 3
वो हादसे हालात के ।
न-मुक़म्मिल ख्यालात के ।
शबनम को तरसी चाँदनी ,
ज़िस्म अधूरे रात के ।
.....
723
ज़ज्बात मचल जाने दो ।
शबनम पिघल जाने दो ।
एक ख़्वाब की ख़ातिर,
रात को सम्हल जाने दो ।
......
724
मचलते है ज़ज्बात, मचल जाने दो ।
पिघलती है शबनम, पिघल जाने दो ।
फिर एक हसीन ख़्वाब की ख़ातिर ,
ढ़लती सी रात को , सम्हल जाने दो ।
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725
ये जिंदगी हसीन है ।
तजुर्बा ही जहीन है ।
हक़ीक़त-ऐ-आसमां पे ,
ख़्वाब की जमीन है ।
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726
ये जिंदगी हसीन है ।
तजुर्बा ही जहीन है ।
ख़्वाब के आसमां पे ,
हक़ीक़त-ऐ-जमीन है ।
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727
मैं दर्द बयां कैसे कर दूँ ।
दिल दर्द ज़ुदा कैसे कर दूँ ।
है ये संग मेरे अपने ही ,
मैं उन्हें बुत कैसे कर दूँ ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 3
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