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रुककर सफ़र डगर पर ,
डगर सफ़र फ़िर चलता है ।
जो तूफानों से लड़कर ,
हालातों से जा भिड़ता है ।
तपकर संघर्षो की अग्नि में ,
कुंदन सा होकर ढ़लता है ।
अथक चला ज़ीवन पथ पर ,
पग पग पथ डग धरता है ।
तब दूर क्षितिज पर तारा कोई ,
सदूर क्षितिज तक मंजिल गढता है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 6
रुककर सफ़र डगर पर ,
डगर सफ़र फ़िर चलता है ।
जो तूफानों से लड़कर ,
हालातों से जा भिड़ता है ।
तपकर संघर्षो की अग्नि में ,
कुंदन सा होकर ढ़लता है ।
अथक चला ज़ीवन पथ पर ,
पग पग पथ डग धरता है ।
तब दूर क्षितिज पर तारा कोई ,
सदूर क्षितिज तक मंजिल गढता है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 6
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