मंगलवार, 20 अगस्त 2019

मेरे होने की कहानी

  मेरे होने की , कहानी लिख दूँ ।
 फिर कोई अपनी, निशानी लिख दूँ ।

  खो गए हालात ,  जिन हाथों से ,
 उन हाथों की, जख्म सुहानी लिख दूँ ।

 न हो चैन मयस्सर, जिस जिस्म रूह को ,
 कशिश उस रूह की,  रूहानी लिख दूँ ।

 गुजरता गया दिन , शोहरतों में ,
 रात की फिर , वीरानी लिख दूँ ।

बदलती रही रंग , मौसम की तरह ,
ये जिंदगी , फिर भी दीवानी लिख दूँ।

  सिमेटकर कुछ , हंसी खयालों को  ,
 उनवान नया ,नज़्म पुरानी लिख दूँ ।

 ले आया यहां, सफर उम्र का चलते चलते ,
"निश्चल"पड़ाव पे, उम्र की नादानी लिख दूँ ।

     .... विवेक दुबे"निश्चल"@....




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