मेरे होने की , कहानी लिख दूँ ।
फिर कोई अपनी, निशानी लिख दूँ ।
खो गए हालात , जिन हाथों से ,
उन हाथों की, जख्म सुहानी लिख दूँ ।
न हो चैन मयस्सर, जिस जिस्म रूह को ,
कशिश उस रूह की, रूहानी लिख दूँ ।
गुजरता गया दिन , शोहरतों में ,
रात की फिर , वीरानी लिख दूँ ।
बदलती रही रंग , मौसम की तरह ,
ये जिंदगी , फिर भी दीवानी लिख दूँ।
सिमेटकर कुछ , हंसी खयालों को ,
उनवान नया ,नज़्म पुरानी लिख दूँ ।
ले आया यहां, सफर उम्र का चलते चलते ,
"निश्चल"पड़ाव पे, उम्र की नादानी लिख दूँ ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
फिर कोई अपनी, निशानी लिख दूँ ।
खो गए हालात , जिन हाथों से ,
उन हाथों की, जख्म सुहानी लिख दूँ ।
न हो चैन मयस्सर, जिस जिस्म रूह को ,
कशिश उस रूह की, रूहानी लिख दूँ ।
गुजरता गया दिन , शोहरतों में ,
रात की फिर , वीरानी लिख दूँ ।
बदलती रही रंग , मौसम की तरह ,
ये जिंदगी , फिर भी दीवानी लिख दूँ।
सिमेटकर कुछ , हंसी खयालों को ,
उनवान नया ,नज़्म पुरानी लिख दूँ ।
ले आया यहां, सफर उम्र का चलते चलते ,
"निश्चल"पड़ाव पे, उम्र की नादानी लिख दूँ ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
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