बुधवार, 23 मार्च 2016

होली


अब की होली,तब की होली ,
  जब की होली,याद नहीं अब ।
 कब खेली थी, हमने तुम संग होली ?
भूल गए अब तुम,ओ हमजोली
इस होली तुम, किस की हो...लीं .
   ....विवेक..
ब्लॉग पोस्ट 23,/3/16
,

डोले मन कुछ बोले मन
श्याम संग झूमें राधा मन
भर पिचकारी मारें श्याम जी
तर होत राधा तन मन
.. विवेक ...
.
उस मौके को गवां न देना
रंग देना चाहे न रंग देना
जो आयें सामने होली पर हम
 बस जरा सा तुम मुस्कुरा देना

अपने ही रंग में मोहे रंग देना
 तू मुझे मुस्कुराते नयन देना
 जज़्ब कर लूंगा मुस्कुराहट को
 बस अपने अधरों पर थिरकन देना
 .
  जा होली जैसे ही हमने
 भौजी गाल गुलाल लगाई
 वो कुछ कुछ शरमाई
 यादो से आँख मिलाई
  हमसे आंख चुराई
.
न रहे ख़लिश कोई
अब की ऐसी होली हो
रंग भले न बरसें पानी संग
मन से मन की होली हो
रंग जाएँ फिर प्रेम रंग संग
प्रेम प्रीत संग होली हो
रंग भले न बरसें पानी संग
स्नेह रंग संग होली हो
 .
गोरे गोरे गाल .....
आज हुए लाल गुलाबी.....
ऐसी छाई खुमारी ......
झूम रही दुनिया सारी.....
आप सभी को ...
शुभ कामनाये ढेर सारी ...
हमारी .........
 

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