बुधवार, 23 मार्च 2016

मौन निमंत्रण


मौन निमन्त्रण देती बाला को
रूप सलोनी सी हाला को
पूरी की पूरी मधुशाला को
जाम रंग सा पी जाऊँ
हो कर मदहोश आज मैं
कुछ पल और जी जाऊँ
... विवेक ...
,

ज़र्रा ज़र्रा गुलाब हो
 हर सितारा आफताब हो
 छू ले जो एक नजर तेरी
  ज़िन्दगी तुझ पे निसार हो
,
, ... विवेक ...


प्रेम रंग के रंग सजा दे ।
 सजनी मोहे अंग लगा दे ।
 रंग दे मोहे अपने रंग में ,
 खुद को तू बिसरा दे ।
     .... विवेक ..

,

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