तजुर्बे ज़िन्दगी के ,जिन्दगी तजुर्बों की ।
अरमान सो बरस के ,ज़िन्दगी दो घड़ी की ।
...
बस एक जलती सिगार ज़िन्दगी।
हर कश धुएँ का गुबार ज़िन्दगी।
झड़ गई एक.......... चुटकी में ,
राख सी......... बेज़ार ज़िन्दगी ।
दिल था उधार और मोहब्बत सामने खड़ी थी ।
ज़िन्दगी के सफ़र की वो जाने कैसी घड़ी थी।
टिमटिमाते थे जुगनू चाँदनी बिखरी पड़ी थी ।
ज़िन्दगी के सफ़र की वो रात भी बड़ी थी ।
उठा था चिलमन और निग़ाह न मिली थी ।
ज़िन्दगी के सफ़र की वो कशिश बड़ी थी ।
न थी आरजू कोई और सामने आरजू खड़ी थी ।
ज़िन्दगी के सफ़र की वो उलझन बड़ी थी ।
चलता जिस रास्ते पर उसकी मंज़िल नही थी ।
ज़िन्दगी के सफ़र में यह राह कैसी मिली थी ।
पाएगा न कोई मुक़ाम जानता है वो मग़र ।
ज़िन्दगी उसकी सफ़र पे खड़ी थी ।
सफ़र पे खड़ी थी ......
तलाश-ए-ज़िन्दगी में खो गया मैं ।
कुछ यूँ ज़िन्दगी का हो गया मैं ।
तलाश-ए-ज़िन्दगी में खो गया मैं ।
कुछ यूँ ज़िन्दगी का हो गया मैं ।
........विवेक दुबे ©......
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