मंगलवार, 26 जून 2018

आज

आज इंसान ग़ुम हो रहा है ।
 इतना मज़लूम हो रहा है ।
खा रहे वो कसमें ईमान की ,
 यूँ ईमान का खूं हो रहा है ।
 ..... विवेक दुबे"निश्चल"@.....

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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