शनिवार, 8 जून 2019

माँ





वो जाने कैसी तिश्नगी रही ।
अंधेरों में सिमटी रोशनी रही ।
लड़ते रहे उजाले अंधेरों से ,
और ज़िंदगी मोम सी रही ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...


कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...