मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020

गजल



ग़ज़ल प्रतियोगिता

बहारों ने तुझको पुकारा भी होगा ।
मिलाने निग़ाहें संवारा भी होगा ।
झुकाकर निग़ाहें बड़ी ही अदा से ,
इशारों में दिल को हारा भी होगा ।
चढ़ा इश्क़ परवाज़ राहे ख़ुदा में ।
हुस्न आइने में उतारा भी होगा ।
चला हूँ डगर पे तुझे साथ ले के ,
कहीं तो मुक़द्दर हमारा भी होगा ।
नही है सफर पे मुसाफ़िर अकेला,
मुक़ा मंजिल पे इक हमारा भी होगा ।
रहेंगे जहाँ पे सफर में अकेले ,
वहाँ पे दुआ का सहारा भी होगा ।
बहा है सदा साथ "निश्चल" दर्या के ,
कही तो युं मेरा किनारा भी होगा ।


     ....विवेक दुबे"निश्चल"@....




कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...