मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020

आओ कान्हा

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आओ कान्हा,
        दया दिखाओ कान्हा ।

छाओ चित में,
        मोहे न बिसराओ कान्हा ।

करुण पुकार सुनो मेरी,
      तुम कृपा बरसाओ कान्हा ।

हार रहा मन मन के हाथों,
       राह तुम दिखलाओ कान्हा ।

 जीत सकूँ स्वयं स्वयं के आगे ,
    स्वयं को हर ले जाओ कान्हा ।

 नयन बिलोकत पल छिन पल छिन ,
    सखी सी प्रीत निभाओ कान्हा ।

भाव भरे यह मन भीतर गहरे ,
    गोपी सा रास रचाओ कान्हा ।

 गीत गढूं नित नित तेरे ,
    अधरन प्यास बुझाओ कान्हा ।

 विनय यही बस लाज रखो मेरी ,
"निश्चल"को न बिसराओ कान्हा ।

आओ कान्हा, दया दिखाओ कान्हा ।
छाओ चित में,मोहे न बिसराओ कान्हा ।

..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 7
Blog post 4/2/2)

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