सोमवार, 12 जून 2017

सौदे


जमीं हमारी देश हमारा
 भूल हुई जो दिया सहारा
 आए थे सौदागर बनकर
 छुपे हुए हमलावर दल
  कर बैठे सौदे उस ईमान के
  लाल हम जिस देश महान के
 होकर परतन्त्र ग़ुलाम हुए तब
 सदियाँ बीतीं आजादी पाने में
 आज़ाद हुए जाकर हम तब
 आए फिरंगी फिर भेष बदल कर
 सौदे होते कुछ बैसे ही फिर अब
   .... विवेक ....

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