जमीं हमारी देश हमारा
भूल हुई जो दिया सहारा
आए थे सौदागर बनकर
छुपे हुए हमलावर दल
कर बैठे सौदे उस ईमान के
लाल हम जिस देश महान के
होकर परतन्त्र ग़ुलाम हुए तब
सदियाँ बीतीं आजादी पाने में
आज़ाद हुए जाकर हम तब
आए फिरंगी फिर भेष बदल कर
सौदे होते कुछ बैसे ही फिर अब
.... विवेक ....
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