सोमवार, 12 जून 2017

बेगुनाही


तेरी बेगुनाही से क्या फर्क पड़ता है ।
 सुबूत ही हर गुनाह को गढ़ता है ।
 बजह तलाश करो बेगुनाही की ,
 ग़ुनाह करने से फर्क़ नही पड़ता है ।
.... विवेक ..


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