ज़ख्म आ मिले है अब मेरे शहर से ।
दर्द जाते नही हैं अब मेरे शहर से ।
दहशत ही बाँकी है अब मेरे शहर में ।
खो सा गया चैन है अब मेरे शहर से ।
नफ़रतों की अँधी है अब मेरे शहर में ।
रहतीं दूर खुशियाँ है अब मेरे शहर से।
उजियारे आते नही हैं अब मेरे शहर में।
अँधियारे जाते नही हैं अब मेरे शहर से।
..... विवेक दुबे "निश्चल"@.....
दर्द जाते नही हैं अब मेरे शहर से ।
दहशत ही बाँकी है अब मेरे शहर में ।
खो सा गया चैन है अब मेरे शहर से ।
नफ़रतों की अँधी है अब मेरे शहर में ।
रहतीं दूर खुशियाँ है अब मेरे शहर से।
उजियारे आते नही हैं अब मेरे शहर में।
अँधियारे जाते नही हैं अब मेरे शहर से।
..... विवेक दुबे "निश्चल"@.....
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