सोमवार, 17 जुलाई 2017

माया


 डुबाये रख भुलाए रख सपनों को सजाए मत ।
 होना है वो होता है तू भाग्य को झुठलाए मत  ।।
 
 माया सब माया की,कीमत नही काया की ।
 संग चले जो माया , जरूरत नही छायाँ की
  .... विवेक दुबे "विवेक"© ...

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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