सोमवार, 17 जुलाई 2017

ताशकंद


ताशकंद भारत का लाल जो गया ।
लौट न सका वापस वो बही सो गया ।
जीत कर भी जीत का अफ़सोस रह गया ।
काश जीत के हालात क़ायम होते।
आज हालत-ऐ-हिन्द कुछ और होते।
  आज यूँ बेबजह गोलियां न चल रही होती ।
जो चलती गोलियां तो उनकी कोई बजह होती।
   ....विवेक दुबे "विवेक"©....
Blog 27/7/17


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