सोमवार, 17 जुलाई 2017

देखो देखो


 तैल देखो तेल की धार देखो
कुर्सी की दोधारी तलवार देखो
सहो सब अत्याचार देखो
 होता हर अत्याचार देखो
एक वोट की कीमत पर
संसद सत्र का चित्रहार देखो
देखो देखो यह लोकतंत्र का
 व्यबहार देखो
 इनका शिष्टाचार देखो
 प्रजातन्त्र के मंदिर का हाल देखो
      ....विवेक दुबे "विवेक"©...

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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