सोमवार, 2 जुलाई 2018

क्यों नहीं देते

 हालात दिलों के तुम दिखा क्यों नही देते ।
येअश्क़ निगाहों से तुम गिरा क्यों नही देते ।

उठता है समंदर में तूफान जो कोई ,
साहिल से उसे तुम मिला क्यों नही देते ।

अरमान उठा जो आज उस दिल में ,
इस ज़िस्म में तुम गला क्यों नही देते ।

छेड़कर नग़मे प्यार के फिर कोई ,
जज़्बात दिलों के तुम जगा क्यों नही देते ।

ठहरा हूँ साहिल पर समंदर की चाह में ,
आँखों से अपनी दरिया पिला क्यों नही देते ।
आज बरस जाऊँ बून्द बून्द सा मैं ,
बारिश सा तुम मुझे सिला क्यों नही देते ।

"निश्चल" ही रहा हूँ अब तलक मैं ,
 मुसाफ़िर तुम मुझे बना क्यों नही देते ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....

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