दीप दीप आज दीप जले है ।
अंधियारे प्रकाश तले घुले है ।
तिमिर छुपा दीप दीप तले ,
उजियारों से दीप मिले है ।
हुआ पराजित तम धुति से ,
अधर अधर आज खिले है ।
प्रकाशित क्षिति श्रंगारित तन ,
अंग अंग गहने सुहाग ढ़ले है ।
रुकी नही कहीं कभी रश्मि ,
उज्वल उजियारे अंनत चले है ।
दीप दीप आज दीप जले है ।
अंधियारे प्रकाश तले घुले है ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@...
अंधियारे प्रकाश तले घुले है ।
तिमिर छुपा दीप दीप तले ,
उजियारों से दीप मिले है ।
हुआ पराजित तम धुति से ,
अधर अधर आज खिले है ।
प्रकाशित क्षिति श्रंगारित तन ,
अंग अंग गहने सुहाग ढ़ले है ।
रुकी नही कहीं कभी रश्मि ,
उज्वल उजियारे अंनत चले है ।
दीप दीप आज दीप जले है ।
अंधियारे प्रकाश तले घुले है ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@...
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