शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

सवाल आज ज़िंदगी खास का है

सवाल आज ज़िंदगी खास का है ।
समय बंदगी और अरदास का है ।
पुकार ले हृदय से आज उसको ,
जो भी ईस्वर तेरे विश्वास का है ।
रच डाली वो प्रलय तू ने ही ,
जो अधिकार उसके पास का है ।
माँग कर क्षमा अब भी सुधर जा,
निर्णय स्वयं के अहसास का है ।
हर दम है दयालू वो बड़ा ,
हृदय उसका अंनत आकाश का है ।
कर देगा क्षमा एक पल में तुझे ,
कर शपथ तू प्रकृति के साथ का है ।
न बदलूँगा अब तेरे नियम को,
हर नियम जो प्रभु तेरे हाथ का है ।
कर जोड़कर प्रण प्राण से कर प्रार्थना,
हृदय स्थान प्रभु के "निश्चल"निवास का है।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...

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