शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

ज़ीवन की संभावनाएं ,

जितना तू बे-ज़िक्र रहेगा ।
 उतना तू बे-फ़िक्र रहेगा ।

चल छोड़ दे फिक्रें कल की ।
न छीन खुशियाँ इस पल की ।

न कर रश्क़ अपने रंज-ओ-मलाल से ।
कर तर खुदी को ख़ुशी के गुलाल से ।

दर्या हूँ वह जाऊँगा समंदर की चाह में ।
मिलेगा बजूद मेरा कही किसी आह में ।
.....
सहारे गर्दिश-ऐ-फ़रियाद में ,
रिश्तों की बुनियाद हुआ करते हैं ।
....

ज़ीवन की संभावनाएं ,
 पल प्रतिपल शेष हैं ।
ज़ीवन के रहते मिटता नही ,
 कुछ भी विशेष है ।

....विवेक दुबे"निश्चल"@..

वक़्त कब कहाँ मेरा रहा ।
इतना ही जहां मेरा रहा ।
..."निश्चल"..

जब इसी राह से गुजरना है ।
तब हालात से क्या डरना है ।
आयेगी मंजिल तभी हाथ में ,
जब हालात हाथ में करना है ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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