शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

ताक़त दिये कि

एक चिराग अंधेरो पर कितना भारी है ।
रात चरागों ने ताक़त अपनी दिखा दी है ।

 जलकर कर दिए जगमग दियों ने दिये ,
 ताक़त एकता की अपनी उजियारी  है ।

 न जात आई न धर्म आड़े आया कहीं ,
 भारत देश ने समर की की तैयारी है ।

 रहें दूर हम सब बस कुछ समय लिए ,
 संकल्प ढाल से हारती हर बीमारी है ।

 "निश्चल" करें संघर्ष नाम लेकर प्रभु का ,
 आज की ये दुनियाँ कल भी हमारी है ।

     ..... विवेक दुबे"निश्चल"@....

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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