एक चिराग अंधेरो पर कितना भारी है ।
रात चरागों ने ताक़त अपनी दिखा दी है ।
जलकर कर दिए जगमग दियों ने दिये ,
ताक़त एकता की अपनी उजियारी है ।
न जात आई न धर्म आड़े आया कहीं ,
भारत देश ने समर की की तैयारी है ।
रहें दूर हम सब बस कुछ समय लिए ,
संकल्प ढाल से हारती हर बीमारी है ।
"निश्चल" करें संघर्ष नाम लेकर प्रभु का ,
आज की ये दुनियाँ कल भी हमारी है ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....
रात चरागों ने ताक़त अपनी दिखा दी है ।
जलकर कर दिए जगमग दियों ने दिये ,
ताक़त एकता की अपनी उजियारी है ।
न जात आई न धर्म आड़े आया कहीं ,
भारत देश ने समर की की तैयारी है ।
रहें दूर हम सब बस कुछ समय लिए ,
संकल्प ढाल से हारती हर बीमारी है ।
"निश्चल" करें संघर्ष नाम लेकर प्रभु का ,
आज की ये दुनियाँ कल भी हमारी है ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....
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