शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

माँ

माँ कैसी है तू ,इतना तो पूछा जा सकता है ।
इस दुनियाँ में, इतना वक़्त तो पा सकता है ।
स्वर्थ भरी दुनियाँ में,साथ रहे न जब कोई ,
माँ के आँचल में,जब चाहे तब आ सकता है ।
......विवेक दुबे"निश्चल"@...
माँ
...1
मोल नही कुछ मात का, मातु मनुष का मूल ।
मातु आशीष जो मिले , चुभत न कोई शूल ।
....2
न्यारा माँ का नाम है, माँ जग का उजियार ।
माँ के आँचल छाँव से, शीतल मनस संसार ।
....3
साथ दुआ हो मातु की, कभी न होत हताश ।
सर मातु आशीष धरे ,कदम बिछे आकाश ।
....4
स्मृतियाँ ही शेष हैं,   उसके ये अवशेष ।
उसके बारे में लिखे ,पास नही शब्द शेष ।
..5
 सुध खो दे मेरे लिये, दुख की न रहे घूप ।
 ये विधना भी जग में , माँ का ही है रूप।

     ... विवेक दुबे"निश्चल"@..

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