सपनो की बात चली
यादो की गांठ खुली
फिर ताज़ा हुए बो बीते पल
जो अपने ही तो थे कल
केसे बीत गए बो पल
कहाँ गुम हुआ बो कल
सपनो ने भी आना छोड़ दिया
जब से उसने मुहँ मोड़ लिया
करके बहाना
कल आने का
अब तक न आये बो
कल कब आता है
अब यह उन्हें समझाए कोई
....विवेक..
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