शनिवार, 9 मई 2015

पहचान


प्रकाशक मिल जाने से क्या ?
पुस्तक छप जाने से क्या ?
पुरुस्कार मिल जाने से क्या ?
मंच पर जगह मिल जाने से क्या ?
न कोई शिकवा न कोई गिला
अपना तो नेट ब्लॉग ही प्रकाशक है
यही लिखने का साधक है
मित्रो के लाइक कमेंट्स पुरुस्कार बने
दिलो के मंच पर आ डटे
सब को बार बार आभार
और क्या चाहिए यार ..
.............विवेक.....

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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