शनिवार, 9 मई 2015

भोजी संग होली


भौजी मारो न नयनो के बाण
घायल मनवा हुई जात है
सूनी होली में आ गये है प्राण
तोहे देख देख हम बौरात है
भोजी जा वर्ष तू यही है
दूर हम से नहीं है
तोहे रंग देहे सरे आम
भौजी मारो न नयनो के बाण
देखत है भैया और महतारी
आज खेलत फ़ाग हम संग भाभी
और झूमे देख देख तेरी मुस्कान
रंग की मारी भर पिचकारी
भोजी बोले मेरे देवर बड़े शैतान
भौजी मारो न नयनो के बाण
ऐसी होली कबहुँ न खेली
भौजी तू तो होली की शान
जो भाई कछु गलती हमारी
माफ़ी देदो भोजी प्यारी
तुम तो भैया की नैयनन् प्यारी
तुम्ही में वस्त वा जेके प्राण
भौजी चलाओ न नयनो के बाण
होली की मस्ती भरी रंग रंगीली रंगीन शुभ कामनाये
........विवेक....

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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